झारखंड सरकार ने असम में काम कर रहे झारखंडी मजदूरों के लिए महत्वपूर्ण फैसला लिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इन मजदूरों की स्थिति की जानकारी हासिल करने और उनके कल्याण के लिए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कराने का निर्णय हुआ। इससे असम की राजनीति पर भी असर पड़ सकता है।
रांचीः असम की चाय बागानों में काम करने गए झारखंड के मजदूरों के हित को देखते हुए राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसे लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। हेमंत सोरेन सरकार ने असम में काम कर रहे झारखंडी मजदूरों की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करने का फैसला लिया।
आदिवासियों को असम, अंडमान और निकोबार में बसाया गया
झारखंड कैबिनेट की बैठक के बाद समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया कि आज एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा हुई है। उन्होंने बताया कि झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों को देश के विभिन्न हिस्सों में बसाया गया। असम, अंडमान और निकोबार और अन्य जगहों में बसाया दिया गया है।उन्हें अंग्रेज़ काम करने के लिए वहां ले गए थे।
झारखंड के 15-20लाख आदिवासियों को बसाया गया
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन आदिवासियों की आबादी 15-20 लाख है, लेकिन उन्हें अभी तक वहां आदिवासी का दर्ज़ा नहीं मिला है। उनकी सरकार ऐसे सभी मूल निवासियों को झारखंड लौटने के लिए आमंत्रित कर रही है। इस मुद्दे के लिए एक मंत्री स्तर की समिति बनाई जाएगी.। यह एक सर्वदलीय समिति होगी जिसके प्रतिनिधि उन सभी जगहों पर जाएंगे। वहां के मुद्दों का आकलन करेंगे और राज्य सरकार को बताएंगे।