बेडो// मूलवासी सदान और जनजातियों की भाषा और संस्कृति एक जैसी है। सदान और जनजाति एक साथ रहते आए हैं। अलग राज्य के लिए दोनों समुदायों ने शहादत दी। जिसका परिणाम है की झारखंड राज्य मिला। वहीं राज्य में होने वाले परिसीमन में मूलवासी सदानों के हितों की भी रक्षा हो, यह सुनिश्चित करना राज्य और केंद्र सरकार की नैतिक की जिम्मेवारी है। ये बातें बुधवार को बतौर मुख्य अतिथि के रूप में मूलवासी सदान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद ने बेड़ो के बारीडीह पहाड़ा मैदान में मोर्चा द्वारा आयोजित सदान – संसद सह मिलन समारोह में कही।
उन्होंने कहा कि पेसा कानून रूढ़िवादी परंपरा के तहत लागू किया जा रहा है।इसलिए मूलवासी सदानों को भी शामिल किया जाना चाहिए। झारखंड आंदोलनकारी क्षितिश कुमार राय ने कहा कि जब तक मूलवासी सदान अपने अधिकारों के प्रति मुखर नहीं होंगे, तब तक सरकार और राजनेता मनमानी करेंगे। हम सभी को संगठित होकर अपनी उपेक्षा के खिलाफ लड़ना होगा।
सदान -संसद व मिलन समारोह
सदान -संसद व मिलन समारोह को बाणी कुमार रॉय, प्रो. अरविंद कुमार, प्रो. अमर गोप, विशाल सिंह, नवदीप महतो, मुमताज खान, उमेरा खातून, जमुना सिंह, अफरोज अंसारी, बसंती देवी, नवल किशोर सिंह, रशीद मीर, सुरेश महतो, कोरेश मिरदाहा, कयूम फरास, बन्दे महतो, महानंद सिंह, मोहन शेखर, संजय रॉय, आदित्य चौधरी के अलावा खुंटी, सिमडेगा, गुमला व रांची के मूलवासी सदानों ने संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता धनंजय कुमार रॉय, संचालन विश्वनाथ गोप, धन्यवाद ज्ञापन उमेरा खातून ने किया।
